राष्‍ट्रीय भारतीय चिकित्‍सा संपदा संस्‍थान, हैदराबाद

पृष्ठभूमि

सर जॉन भोरे की अध्यक्षता में सन् 1944 में स्वास्थ्य सर्वेक्षण तथा विकास समिति भारत साम्रज्यिक सरकार द्वारा नियुक्त की गई है, जिसे भोर के नाम से जाना जाने लगा। इस समिति को सलाह और सहायता देने के लिए छः परामर्शदाता और विशेषज्ञ भारत की यात्रा पर आमन्त्रित किये गए। जोह्न्स होपकिन्स आयुर्विज्ञान इतिहास संस्थान, बाल्टीमोर, यूएसए के तात्कालिक निदेशक प्रो हेनरी ई सिजेरिस्ट उनमें से एक थे। उन्होंने तत्कालीन परिकल्पित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, जो वर्तमान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली है, उसमें आयुर्विज्ञान इतिहास संस्थान खोलने की अनुशंसा करने वाला एक ज्ञापन भोर समिति को प्रस्तुत किया। तब भारत सरकार ने भोर समिति के प्रतिवेदन और उसकी अनुशंसा के संबंध में अध्ययन करने के लिए 1946 में एक विशेष समिति नियुक्त की। विशेष समिति ने सिजेरिस्ट के प्रस्ताव को अनुमोदित किया।

मेजर जनरल एस.एल. भाटिया संयुक्त राज्य, मद्रास के द्वारा आयुर्विज्ञान इतिहास विभाग खोलने का विचार एवं सुझाव प्रात्प हुआ, क्योंकि भारत में किसी भी आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में इस प्रकार का विभाग नहीं था। आन्ध्र राज्य के निर्माण के पश्चात् ही आयुर्विज्ञान इतिहास विभाग को आरम्भ करने का मामला तीव्र हुआ। यह जी ओसं.1465स्वास्थ्य, द्वारा दिनांक 28-09-1955 को अनुमोदित हुआ।

 

विशाखापटनम् में आयुर्विज्ञान इतिहास विभाग का आधिकारिक तौर पर 26-09-1956 को उद्घाटन हुआ। बाद में यह डॉ डी वी सुब्बा रेड्डी, निदेशक के अधीन दिसंबर 1956 के महीने में हैदराबाद में स्थानांतरित किया गया। आयुर्विज्ञान इतिहास विभाग के महत्त्व को देखते हुए, इसे 14-02-1969 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (आईसीएमआर) को सोंप दिया गया था, एवं इसका नाम आयुर्विज्ञान इतिहास संस्थान रखा गया। इसके पश्चात् 01-04-1970 में केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा एवं होमियोपैथी अनुसन्धान परिषद् को इसे हस्तांतरित किया गया। दिनांक 04-08-1973 को सम्पन्न 9 वीं कार्यकारी समिति में इसका नाम भारतीय आयुर्विज्ञान इतिहास संस्थान रखा गया। 01-01-1979 में केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा एवं होमियोपैथी अनुसन्धान परिषद् को चार अलग-अलग परिषदों में विभाजित किया गया था, जब संस्थान सीसीआरएएस के नियंत्रण में आया। आयुष विभाग, भारत सरकार ने संस्थान की उपलब्धियों और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए 15-12-2009 को राष्ट्रीय संस्थान के रूप में  उन्नयन किया गया है । संस्थान 21-02-2013 से प्रभावी अपनी इमारत में कार्य कर रहा है ।

संस्थान के पास एक विशेष चिकित्सीय ऐतिहासिक पुस्तकालय  है। यह एक रिफरल पुस्तकालय के रूप में कार्य करता है और किसी भी चिकित्सा महाविद्यालय के पुस्तकालय का एक विकल्प या प्रतिकृति नहीं है और यह दो उद्देश्यों के साथ अनुरक्षित है। 1. छात्रों, शिक्षकों, हितार्थी जनता के बीच आयुर्विज्ञान इतिहास का ज्ञान का संवर्धन, 2. प्राचीन और मध्ययुगीन काल में भारत में और सभ्यता के अन्य केन्द्रों में चिकित्सा के विकास के बीच अंतर-संबंधों की व्याख्या और भारत में प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक समय के दौरान । इस संस्था के पास चिकित्सा इतिहास की विभिन्न शाखाओं पर 10384 किताबें हैं, जिसमें से 448 दुर्लभ किताबें हैं. संग्रह में आयुष प्रणालियों और यूरोपीय चिकित्सा के कई ग्रंथ (कुछ प्रारंभिक संस्करण) शामिल हैं. इस संस्था के पास 285 पांडुलिपियों हैं (पाम पत्ती / कागज) (आयुर्वेद-173, यूनानी-106, सिद्धा-06). संस्था के पास 1187 पत्रिकाओं (राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय) हैं। यह  दुर्लभ संग्रह ने भारत इस पुस्तकालय को अनूठा पुस्तकालय बनाया है।

यह संस्थान चिकित्सीय ऐतिहासिक संग्रहालय कॊ दो मुख्य अनुभागों के साथ संरक्षण करता है, एक विश्व चिकित्सा और दूसरा भारतीय चिकित्सा। इस संग्रहालय के पास चिकित्सा ऐतिहासिक महत्व का डाक टिकट, चिकित्सा शिलालेख, दुर्लभ तस्वीरें, पैंटिंग, चार्ट, प्लास्टर ऑफ पेरिस का बना मॉडल और कुछ प्राचीन नैदानिक उपकरण आदि का मूल्यवान संग्रह आयुष और अन्य प्रणालियों से संबंधित चिकित्सा-ऐतिहासिक घटनाओं के विकास का वर्णन करने के लिए है। संग्रहालय के पास कुल  840 प्रदर्शनीय वस्तु हैं।

यह संस्थान एक सादा कागज फोटोकॉपी के साथ एक फोटोग्रॉफी/रिप्रोग्रॉफी अनुभाग से सुसज्जित है। संस्थान में उपलब्ध शोध सामग्री और संग्रहालय की प्रदर्शनियों की प्रतियों की फोटोकॉपी उपलब्ध करवाकर यह संस्थान के शोध अधिकारियॊं के साथ ही बाहरी विद्वानों की सहायता करता है। संस्था के पास 137 माईक्रोफिल्म (35 मिमी), आयुर्वेद (38), यूनानी (41), सिद्धा (04) और आधुनिक चिकित्सा (54) हैं।  

संस्थान अपने जर्नल भारतीय आयुर्विज्ञान संपदा पत्रिका (JIMH) प्रकाशित करता है और अब तक 41 खंड 736 लेख के साथ प्रकाशित किया गया है (संस्थान के अधिकारियों द्वारा- 462, दूसरों के द्वारा -274)

 

अधिदेश

1.    साहित्यिक अनुसंधान और प्रलेखन

2.    प्राचीन पांडुलिपियों और दुर्लभ किताबों से ग्रंथों की पुनरूद्धार और पुनर्प्राप्ति।

3.    आयुष के चिकित्सा की दुर्लभ पांडुलिपियों/पुस्तकों के खोज और जानकारी, वर्णनात्मक टिप्पणियाँ, संपादन पर प्रकाशन का संग्रह।

4.    प्रलेखन

5.    आयुर्वेद विश्वकोश

6.    चिकित्सा के इतिहास पर संग्रहालय

7.    चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा के आयुष प्रणालियों पर रेफरल पुस्तकालय।

8.    आयुष अनुसंधान पोर्टल

9.    सीसीआरएएस - अनुसंधान प्रबंधन सूचना प्रणाली

 

कार्यकलाप :

1.    विभिन्न चिकित्सा प्रणाली पर और विभिन्न भाषाओं में दुर्लभ पांडुलिपियों चिकित्सा / किताबों का संकलन।

2.    प्रतिलिपि, लिप्यंतरण, अनुवाद और पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों और आयुष प्रणालियों से संबंधित अप्रकाशित कार्यों के आधार पर चिकित्सा कार्यों के प्रकाशन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक रूप में महत्वपूर्ण संस्करणों के प्रकाशन।

3.    पुरातत्व एवं पुरालेखीय स्रोतों, भारत अन्य प्राचीन गैर चिकित्सा साहित्य वेद, पुराण आदि, स्रोतों से चिकित्सा की जानकारी का संग्रह।

4.    रोगों, औषधों और चिकित्सा के आयुष प्रणाली के अन्य पहलुओं की अवधारणाओं के ऐतिहासिक विकास और विकास के अध्ययन।

5.    विभिन्न अवधियों के शास्त्रीय चिकित्सा साहित्य के चिकित्सकों, लेखकों, टिप्पणीकारों की जीवनी की तैयारी।

6.    चिकित्सा इतिहास के क्षेत्र, अवधि और विषय लिखने के लिए परियोजनाओं।

7.    समाचार एवं नोट्स सहित ऐतिहासिक सामग्री का संग्रह, संपादन संस्थान के जर्नल (JIMH) में एवं मोनोग्राफ प्रकाशन करता है ।

8.    चिकित्सा सेमिनार जैसे कुछ विशेष अवसरों पर प्रदर्शनियों की व्यवस्था, भारत में और आयुष प्रणालियों के प्रसार के लिए औषद के विकास के प्रदर्शन करने के लिए।

9.    शोध छात्रों के लिए संस्थान के चिकित्सा ऐतिहासिक लाइब्रेरी में रिफरल सेवाएं और मार्गदर्शन।

10. चिकित्सा ऐतिहासिक विषयों पर संगोष्ठियों, सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन।

11. चिकित्सा के इतिहास पर पत्रिकाओं / लेख के ग्रंथ सूचियां तैयार करना।

12. मौखिक इतिहास यानी ऑडियो रिकॉर्डिंग के संग्रह और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वंशानुगत चिकित्सकों और पारंपरिक चिकित्सा, चिकित्सकों से कागज पांडुलिपियों, पुरानी किताबें, अनुदान के प्रमाण पत्र, पुरस्कार जैसे अन्य विवरण प्राप्त करना।

13. चिकित्सा ऐतिहासिक पुस्तकालय के विकास और रखरखाव।

14. चिकित्सा ऐतिहासिक संग्रहालय के विकास और रखरखाव।

15. चिकित्सा इतिहास पर पी.एच.डी. का कार्यक्रम डॉ. एन.टी.आर स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, विजयवाड़ा, ए.पी. ।

16. आईटी परियोजना से संबंधित कार्य- पूरे आयुष प्रणालियों के लिए आयुष अनुसंधान पोर्टल (एआरपी) 2010 से अप्रतिहत परियोजना।

17. सीसीआरएएस-आर.एम.आई.एस.(अनुसंधान प्रबंधन सूचना प्रणाली) मार्च 2014 से निरंतर सेवा को बनाए रखना।

 

उपलब्धियां:

1.  अधिदेश  के अनुसार विभिन्न परियोजनाओं और चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों पर अध्ययन किया जाता है और संस्थान के जर्नल में अबतक (41 वॉल्यूम) प्रकाशित शोध पत्र – 462 [आयुर्वेद - 254; यूनानी - 108; सिद्धा - 20; होमियोपैथी - 07; नैचुरोपैथी - 01; आधुनिक चिकित्सा-17 पूर्व (Early) यूरोपीय चिकित्सा लेखकों और उनके योगदान- 04; बुक समीक्षा – 33 बुलेटिन (BIIHM) की ग्रंथ सूची सूचकांक का संकलन-18 (कुल सं- 462)]। संस्थान के जर्नल लेख पबमेड (PubMed) में मेडिसिन के अमेरिका के राष्ट्रीय पुस्तकालय द्वारा प्रकाशित जीवन विज्ञान और जैव चिकित्सा विषयों पर मुख्य रूप मेडलैन (MEDLINE) डेटाबेस अनुक्रमित रहे हैं।

2.  स्थापना के बाद से संस्थान मोनोग्राफ / पुस्तकों / ई-किताबें (सीडी) में 37 प्रकाशनों प्रकाशित किया है।(अनुबंध -1)

3.  सम्मेलन / सेमिनार / कार्यशालाएं / मेमोरियल व्याख्यान का आयोजन – 42

4.  सम्मेलन / सेमिनार / कार्यशाला मे संस्थान के अधिकारियों ने भाग लिया-420

5.  मेडिको ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन – 56

6.  शिक्षाओं -76

7.  आयोजित स्वास्थ्य मेला / कैम्प – 34

8.  अधिकारियों से प्राप्त पुरस्कार सं. – 10

9पूरित/प्रकाशित ईएमआर परियोजनाओं -02

10.      पूरित आईएमआर परियोजनाए जो प्रकाशन के तहत है - 02 (आयुर्वेद)

11.      पूरित किए गये और प्रस्तुत किए गये आईएमआर परियोजनाएँ - 07 (आयुर्वेद - 06; यूनानी- 01)

12.      चलरहे आईएमआर परियोजनाए - 05 (आयुर्वेद - 03; यूनानी- 02)

13.      पीएचडी के लिए पंजीकृत कुल छात्र कि संख्या– 11 (पीएचडी सम्मानित -03; सिनोप्सिस प्रस्तुत:1; पीएचडी करने वाले छात्र: 07)

अब तक संस्थान निम्नलिखित पुस्तकें/इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकें/मोनोग्राफ प्रकाशित कर चुका है।

1.     

भारतीय चिकित्सा पश्चिमी सारग्रहण

2.     

मौर्य साम्राज्य में स्वास्थ्य और चिकित्सा की झलक

3.     

हैदराबाद के पुस्तकालय में अरबी और फारसी की भारतीय चिकित्सा का पश्चिमि सारांश कि चिकित्सा पांडुलिपी कि  केंद्रीय सूची  

4.     

पुस्तकालय सूची (भाग- I) - लेखक सूची

5.     

संग्रहालय मार्गदर्शक (भाग- I) - विश्व चिकित्सा

6.     

संग्रहालय मार्गदर्शक (भाग- II) - भारत में चिकित्सा

7.     

भारत के संस्कृत चिकित्सा हस्तलेख की जांच-सूची

8.     

राजा भोज द्वारा चारुचर्या

9.     

शब्दचंद्रिका

10.  

रासा प्रदीपिका

11.  

चक्रदत्ता – रत्नाप्रभा

12.  

कार्यकलापों की पुस्तिका और आईआईएचएम की उपलब्धि

13.  

भारत में संस्कृत चिकित्सा हस्तलेख

14.  

घरेलू चिकित्सा और आम आयुर्वेदिक घरेलू उपचार के पुस्तिका (तेलुगु)

15.  

घरेलू चिकित्सा और आम आयुर्वेदिक घरेलू उपचार के पुस्तिका (उर्दू)

16.  

बसवराजीयम (हिन्दी अनुवाद)

17.  

तुल्लुरी सारभराजा द्वारा सारभराजीयम

18.  

श्री इंद्रगंटि वेंकटेश्वर शर्मा द्वारा वैद्यकप्रयोगा विज्ञान

19.  

वेंपटि कोटेश्वर शास्त्री एवं नागलिंगम वसंता शास्त्री द्वारा पुयमेहा विज्ञान

20.  

आयुर्वेदिक फार्माकोपिया आफ इंडिया, भाग-I, ग्रंथ I-V, ई- बुक

21.  

आयुर्वेदिक फार्माकोपिया आफ इंडिया, भाग-II, ग्रंथ –I, ई- बुक

22.  

आयुर्वेदिक फार्माकोपिया आफ इंडिया, भाग-II, ग्रंथ –II, ई- बुक

23.  

आयुर्वेदिक फारमुलारी आफ इंडिया, भाग I-II ई- बुक  

24.  

सिद्धा फार्माकोपिया आफ इंडिया,  भाग-I, ग्रंथ -I ई- बुक

25.  

आयुर्वेदिक फार्माकोपिया आफ इण्डिया, भाग-I, ग्रंथ -VI ई- बुक

26.  

चरकसंहिता की ई- बुक  

27.  

सुश्रुतसंहिता की ई- बुक  

28.  

आयुर्वेदीय, सिद्ध और अन्य पारंपरिक औषधि और संबंधित विज्ञान I-IV ग्रंथ के अनुसंधान डाटा बेस

29.  

अनुपना पाथ्या और अपाथ्या  

30.  

माधवनिदानम ई- बुक  

31.  

निघंटु ई- बुक  (25 आयुर्वेदिक शब्दकोशों के संग्रह)

32.  

घरेलू दवा और आम आयुर्वेदिक घरेलू उपचार की  ई- बुक  पुस्तिका

33.  

बसवराजीयम (अंग्रेजी अनुवाद)

34.  

आयुर्वेदीय विश्वकोश

35.  

आयुर्वेदीय विश्वकोश ई - बुक  

36.  

संग्रह और दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से चिकित्सा पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के वर्णनात्मक सूची (आयुष विभाग द्वारा प्रायोजित)

37.  

आयुर्वेदिक विज्ञान में अनुसंधान प्रकाशन (आयुर्वेद तथा संबंधित शस्त्र मे रिसर्च प्रकाशन की एक सूची)

हमें सम्पर्क करें

डॉ. अला नारायण

निदेशक

राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान संपदा संस्थान (के.आ.वि.अनु.प.),

सर्वे सं. 314, रेवेन्यु बोर्ड कॉलोनी,

गड्डिअन्नारम्, हैदराबाद-500 036,

तेलंगाना, भारत.

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