क्षेत्रीय आयुर्वेदीय औषधि‍ विकास अनुसंधान संस्‍थान, ग्‍वालियर

संस्थान की पृष्ठभूमि

राष्ट्रीय आयुर्वेद-सिद्ध मानव संसाधन विकास अनुसंधान संस्थान, ग्वालियर की स्थापना १९७१ में हुई तथा यह अपने केन्द्रित अधिदेश मानव संसाधन विकास एवं आयुर्वेद औषधि विकास के साथ अनुसंधान कार्यो में सलग्न है | संस्थान का बहिरंग विभाग रोगियों को विभिन्न रोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करता है जिसके तहत रोगियों को संस्थान के अनुसंधान कार्यक्रम के लिए पंजीकृत किया जाता है | संस्थान में २५ शय्या वाले अन्तरंग विभाग, सुसज्जित बायोकेमिस्ट्री एवं पथोलोजी प्रयोगशाला मोजूद है | संस्थान में औषध अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत वानस्पतिक सर्वेक्षण विभाग में २२ हजार पदापालय का रखरखाव किया जाता है | रसायनशास्त्र विभाग द्रव्यों के घटकों के मानकीकरण एवं गुणवत्ता हेतु विभिन्न शोधकार्यो में सलग्न है | संस्थान में मिनी-फार्मेसी है, पंचकर्म सुविधा तथा शोधकार्य हेतु पुस्तकालय सुविधा उपलब्ध है | संस्थान आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान कार्यक्रम संचालित करता है जिसके अंतर्गत ग्वालियर-चम्बल सम्भाग के विभिन्न आदिवासियों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जाती है |  

अधिदेश

आयुर्वेदिक औषध विकास  से संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधि

गतिविधियाँ एवं उपलब्धियाँ

·      नैदानिक अनुसंधान:  संस्थान द्वारा विभिन्न रोगों- आमवात, संधिवात, हेमिप्लेजिया, पराप्लेजिया, गृध्ररसी, पोलियो, रक्ताल्पता, उच्च रक्तचाप, ग्रहणी, अर्श, आदि में नैदानिक अध्ययन का कार्य किया जा चूका है | इसमें से कुछ अध्ययन को प्रकशित किया जा चूका है तथा अन्य का प्रकाशन कार्य प्रगति पर है |

·      रसायनशास्त्र अनुभाग द्वारा आयुर्वेदिक दवाइया/औषधीय वनस्पतियो के मानकीकरण तथा फायटोकेमीकल अध्ययन हेतु प्रयोगशाला को विकसित किया है |

·      रसायनशास्त्र अनुभाग द्वारा त्रिफलाचूर्ण पर रासायनिक अधयन का कार्य पूर्ण किया जा चूका है |

·      फर्मकोलोजी अनुभाग द्वारा आयुर्वेदिक औषधीयो के विषाक्त परिक्षण तथा उनके औषधि गुण के परिक्षण हेतु एनिमल हॉउस सहित सुसज्जित प्रयोगशाला को विकसित किया है |

·      फर्मकोलोजी अनुभाग द्वारा सी 1 आयल, आयुष डी एवं ए.जे. भस्म के विषाक्त एवं जैविक परिक्षण का अध्ययन कार्य पूर्ण किया जा चूका है |

चल रही अनुसंधान परियोजनाए

·      नैदानिक अनुसंधान के अंतर्गत आयुर्वेदिक औषधि का विभिन्न रोगों में जैसे की गोक्शुरादी गुग्गुलु एवं गुडूची चूर्ण की टाइप-२ मधुमेह में चिकित्सा, आयुष ए का की श्वास चिकित्सा, पंचातिक्तगुग्गुलु घृत एवं बृहनमरिचादी तैला की सोरियासिस चिकित्सा, कुषामान्धा रसायन की जीर्णकास में चिकित्सा नैदानिक अध्ययन की आई.एम.आर. परियोजनाओं का अनुसंधान कार्य संचालित हो रहा है |

·      स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम

·      शेडयुल्ड कास्ट सब प्लान के अंतर्गत चलित आयुर्वेदिक स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम

·      रसायनशास्त्र अनुभाग द्वारा कुछ औषधीय वनस्पतियो के भूमिगत और एरियल भागों के तूलनात्मक फायटोकेमीकल अध्ययन कार्य आई.एम.आर. परियोजनाओं के अंतर्गत प्रगति पर है |

·      फर्मकोलोजी अनुभाग द्वारा आई.एम.आर. परियोजनाओं के अंतर्गत गोक्शुरादी गुग्गुलु का पथरी में एवं लघुविशगर्भ तैला का वातरोग में अधयन का कार्य प्रगति पर है |

संगोष्टी एवं कार्यशाला

·      अगस्त २००६ में “एस्टाब्लिश्मेंट ओफ आयुष रिसर्च ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट एंड लेबोरेटरीज” पर केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, ग्वालियर में सफलतापुर्वक आयोजित की गई |

·      वर्ष २००९-१० में संस्थान द्वारा ग्वालियर एवं मध्य प्रदेश के सात जिलों में स्टेट एंड डिस्ट्रिक्ट लेवल कैम्पेन ओन अनीमिया, मदर एंड चाइल्ड हेल्द केयर, एंड जेरियाट्रिक डिसीजेस को सफलतापुर्वक आयोजित किया गया |

·      सितम्बर २०१३ में “क्वालिटी, सेफ्टी एंड एफ्फिकसी ऑफ आयुर्वेदिक ड्रग्स” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापुर्वक आयोजन किया गया |    

अनुसंधान प्रकाशन: राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओ में लगभग १०० अनुसंधान पत्रको (प्रारंभ से अब तक) को संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित किया जा चूका है तथा बुन्देलखंड के वनस्पतियों पर एक मोनोग्राफ का कार्य भी किया जा चूका है | 

 

संपर्क हेतु:

डॉ. अंकुश डी. जाधव

प्रभारी अनुसंधान अधिकारी (वै -४)

फोन: 0751-2323307, 2432698 (डायरेक्ट)

फैक्स: 0751-2430317

मोबा:   8085724449