क्षेत्रीय आयुर्वेदीय मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान संस्‍थान, नागपुर

संस्‍थान के बारे में

 

         यह संस्‍थान भारत के मध्‍य नागपुर में स्थित है । 1 जुलाई 1972 को वनस्पिति औषधी सर्वेक्षण एकक (एस.एम.पी.यू) तथा चल चिकित्‍सा अनुसंधान एकक (एम.सी.आर.यू) के साथ क्षेत्रीय अनुसंधान केन्‍द्र (आयुर्वेद) के रूप में इस संस्‍थान की स्‍थापना हुई थी । तत्‍पश्‍चात यह केन्‍द्र 1999 में क्षेत्रीय अनुसंधान संस्‍थान (आयुर्वेद) के रूप में उन्‍नत किया गया था तथा चल चिकित्‍सा अनुसंधान एकक, आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान परियोजना तथा बाह्य रूग्‍ण विभाग एवं अंतरंग रूग्‍ण विभाग के स्‍तर पर नैदानिक अनुसंधान के साथ कार्य कर रहा है। बाद में यह संस्‍थान लगभग 7000 वर्ग.मी. के परिसर के साथ स्‍वयं के भवन में स्थानांतरित कर दिया गया । हाल ही में 12 अप्रैल 2016 को इस संस्‍थान का नाम बदलकर क्षेत्रीय आयुर्वेदीय मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान संस्‍थान रखा गया है ।

 

शासनादेश   

         यह संस्थान मुख्य रूप से नैदानिक अनुसंधान तथा  निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ विभिन्न रोगों पर परियोजना के संचालन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ।

  1.    मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा के क्षेत्र में आयुर्वेदिक उपचार की मान्‍यता ।

  2.    आयुर्वेदिक सिद्धांतों और मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में उपचार के आधार  

      पर नैदानिक अनुसंधान मॉडल का विकास ।

  3.    मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में आयुर्वेदिक उपचार का योगदान ।

  4.    मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा के क्षेत्र में आयुर्वेदिक उपचार सिद्धांत की मान्‍यता तथा प्रचार ।

 

गतिविधियाँ

         आरंभ से अभी तक 19 नैदानिक परियोजनाएं और 2 सहयोगी नैदानिक परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की गई । उनमें से स्वास (दमा), रजोनिवृतोत्तर सिंड्रोम तथा डिसमेनोरिया (कष्टार्तव), टाइप टू डायबिटीज (मधुमेह), ऑस्टियो आर्थराइटिस (संधिवात) हाल ही में पूरी हुई नैदानिक अनुसंधान परियोजनाएं हैं । वर्तमान में पांच नैदानिक परियोजनाएं चल रही है, इनमें टी.एच.सी.आर.पी. (आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान परियोजना), एस.सी.एस.पी. (एस.सी. विशेष योजना), एस.आर.पी. (स्‍वास्‍थ रक्षा कार्यक्रम)  तथा कासा (ब्रोंकाइटिस) पर 2 नैदानिक परियोजनाएं हाल ही में पूरी हुई है । इस संस्थान में सामान्य, जराचिक्तसा के लिए बाह्य रूग्‍ण विभाग है तथा  नैदानिक अनुसंधान परियोजनाएं भी  नियमित रूप से चल रही हैं । नियमित रूप से लैस माइनर ऑपरेशन थिएटर में अनो रेक्‍टल के रोगों आदि में जलौकचरन तथा क्षरसूत्र जैसी पैरासर्जिकल प्रकिया की जाती हैं । अच्छी तरह से सुसज्जित पंचकर्म थिएटर के साथ साथ पुरुष और महिला के लिए 16 बिस्तरों का अंतरंग रूग्‍ण विभाग भी है। 

 

उपलब्धियाँ

       आरंभ से अब तक इस संस्थान के बाह्य रूग्‍ण विभाग में 4,91,092 रोगियों की जांच और इलाज किया गया । इसी तरह आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान परियोजना नैदानिक कार्यक्रम के तहत 121 गांवों और 75,171 आबादी में से  22,147 रोगियों का उपचार किया गया । परियोजना के तहत 2010 के पश्‍चात्  72 लोक दावे एकत्रित किए गए । इसके अलावा इस संस्‍थान ने दो राष्‍ट्रीय संगोष्‍टी, दो सी.एम.ई. कार्यक्रम, एक आर.ओ.टी.पी. तथा छत्‍तीसगढ राज्‍य में  पांच राष्‍ट्रीय अभियान चलाए गए । संस्‍थान ने दो राष्‍ट्रीय तथा दो राज्‍य स्‍तरीय प्रदर्शनियों में भाग लिया और परिषद के तत्‍वावधान में स्‍टाल भी संधटित किए । आरंभ से अब तक 90 शोध पत्र तथा 2 प्रबंध प्रकाशित किए गए हैं ।

 

 

संपर्क करें

डॉ. एम.एन. सुर्यवंशी

प्रभारी सहायक निदेशक

क्षेत्रीय आयुर्वेदीय मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान संस्‍थान

धरकुल परिसर के पास, एन.आई.टी. कॉम्‍प्‍लेक्‍स के पास

नंदनवन, नागपुर – 440009 (महा.)

फोन नंबर      0712 – 2714230

फैक्स नंबर      0712 – 2714230

मो. नंबर    09422310669

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