सीसीआरएएस द्वारा जम्मू में माह मई 1979 में क्षेत्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया गया और सीसीआरएएस के संगठन कार्यक्रम के दौरान माह नवंबर 1999 में क्षेत्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान केन्द्र को क्षेत्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान संस्थान में परिवर्तित किया गया। रिहारी चुंगी, जम्मू में किराये के भवन में दिनांक 22 दिसंबर 2009 तक आरआरआई, आयुर्वेद कार्यात्मक रहा एवं स्वर्ण विहार, बनतालाब, जम्मू में अपने नए भवन में स्थानांतरित किया गया जिसका उद्घाटन दिनांक 23 दिसम्बर 2009 को माननीय संघीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा किया गया। दिसंबर 2009 में इस संस्थान का नया नाम क्षेत्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान संस्थान, जम्मू किया गया तथा परिषद् की अधिसूचना फ. सं. 12-30/2009-सीसीआरएएस/स्था./पीटी-।/117 दिनांक 12.04.2016 के द्वारा इसका पुनर्नामकरण ‘क्षेत्रीय आयुर्वेदीय मूत्र विकार अनुसंधान संस्थान, जम्मू (आरएआरआईयूडी, जम्मू)’ किया गया है ।
अधिदेश
जीवन शैली सम्बधी एवम असंक्रामक रोग मुख्यता मूत्रविकार एवम वातरक्त (Gout) पर अनुसंधानात्मक अध्ययन के अतिरिक़्त निम्न गतिविधियां इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य है ।
अन्य गतिविधियाँ :-
· बहिरंग रोगी एवम अंतरंग रोगी विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवायेँ
· पंचकर्म के लिए विशेष सुविधा
· वरिष्ठ नागरिकोँ हेतु विशेष क्लिनिक
· विकृति/बायो-मेडिकल प्रयोगशाला
· क्षारसूत्र की सुविधा
· बाह्य गतिविधिया जैसे आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसन्धान ,स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम आदि.
संस्थान द्वारा की जा रही गतिविधियां :-
· बहिरंग रोगी विभाग
· अंतरंग रोगी विभाग - 15 विस्तर की सामान्य सुविधा & 10 विस्तर की विषेश सुविधा
· वरिष्ठ नागरिकोँ हेतु विशेष क्लिनिक
· पंचकर्म के लिए विशेष सुविधा 1. पुरुषोँ के लिये & 2. महिलायोँ के लिये
· क्षारसूत्र की सुविधा
· बाह्य गतिविधियाँ जैसे आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान ,स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम आदि
बाह्य गतिविधियाँ :-
आयुर्वेद मोबाइल स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत अनुसूचित जाति जनजाति उप योजना (एस.सी.एस पी ) दिशानिर्देशों के अनुसार जम्मु जिले के अनुसूचित जाति प्रमुख जनसंख्या वाले कुल 4 गांवों मे येह कार्यक्रम चल रहा है। चयनित गांव निम्नलिखित हैँ:-
1. पात्नियाल
2. चक पतियाली
3. धात्रियाल
4. गैंक
इस कार्यक्रम का उद्देश्य चयनित क्षेत्रोँ की भौगोलिक और पर्यावरण प्रोफ़ाइल ,अनुसूचित जाति से सम्बन्धित लोगों की सामाजिक एवम आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के अतिरिक़्त इन क्षेत्रोँ मे होने वाले रोगोँ से सम्बन्धित आंकडे एकत्रित करना और रोगियोँ को उनके द्वार पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है ।
स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम :- इस कार्यक्रम का उद्देश्य चयनित क्षेत्रोँ की भौगोलिक और पर्यावरण प्रोफ़ाइल ,लोगोँ की सामाजिक एवम आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के अतिरिक़्त इन क्षेत्रोँ मे होने वाले रोगोँ से सम्बन्धित आंकडे एकत्रित करना और रोगियोँ को उनके द्वार पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है ।
एवम दिशानिर्देशों के अनुसार संस्थान के नजदीक निम्नलिखित पांच बडी कालोनियों को चुना गया है :-
1.दुर्गा नगर
2.रूप नगर
3.भरत नगर
4.लक्ष्मी पुरम चिनोर
5.गुडा केरन
इन दोनो कार्यक्रमोँ मे स्थानीय लोगोँ मेँ विभिन्न रोगोँ से सम्बन्धित आई ई सी सामग्री स्थानीय भाषा मेँ लोगोँ मेँ वितरित की जाती है ओर भाषणोँ द्वारा ओर सामूहिक चर्चा करके लोगोँ को स्वच्छ्ता ओर रोगोँ से वचाब के विषय मे अवगत कराया जाता है ।
· उपलब्धियाँ :- अभी तक इस संस्थान मे कुल 27 चिकित्सात्मक परियोजनाओँ पर सफलता पूर्वक अध्ययन किया गया है
क्र. | व्याधी ( Diseases) | औषध (Drug) | रोगीयो की संख्या |
1. | अतीसार (Diarrhoea) |
1. अर्कमूल त्वक चूर्ण | 144 |
| प्रवाहिका (Dysentery) | 122 | |
| ग्रहणी (Irritable Bowel Syndrome) | 148 | |
2. | श्वेतप्रदर (Leucorrhoea) | 1.वटत्वक चूर्ण | 180 |
3. | विषमज्वर (Malaria) | 1.आयुष-64 | 47 |
4. | आमवात (Rheumatoid Arthritis) | 1.त्रिकुष्ट गुग्गुलु | 48 |
5. | सन्धीगतवात (Osteoarthritis) | 1.त्रिकुष्ट गुग्गुलु | 37 |
2.प्लैसिबो
| 36 | ||
6. | मुत्राश्मरी (Urolithiasis) | 1.श्वेतपर्पटी + पाषाणभेद गोक्षुर क़्वाथ
| 30 |
2.श्वेतपपर्पटी + कुलथक़्वाथ | 30 | ||
3.पलाशक्षार | 50 | ||
4.श्वेतपर्पटी + पाषाणभेद गोक्षुर कुलथक़्वाथ
| 106 | ||
7. | कामला (Infective hepatitis) | 1.श्वेतपर्पटी ,पुर्न्ंनवा मण्डुर , आरोग्यवर्धनी | 30 |
2.प्लैसिबो | 30 | ||
8. | ग्रहणी (Irritable Bowel Syndrome) | 1. कुटजघनवटी + शंखद्राव | 30 |
2.कुटज,बिल्व,बबुल फल और श्वेतजीरक चूर्ण | 30 | ||
9. | तुण्डेकेरी (Acute Tonsilitis)
(Chronic Tonsilitis) |
1.स्फटिक भस्म | 20 |
16 | |||
10. | मधुमेह (Diabetes Mellitus) | बिल्वपत्र निम्बपत्र तुलसीपत्र कालीमिर्च | 30 |
11. | आमवात (Rheumatoid Arthritis) | 1.चक्रमर्द + गुग्गुलु | 60 |
12. | आमवात (Rheumatoid Arthritis) | 1.अश्वगन्धा चुर्ण | 92 |
13. | नेत्राभिष्यन्द (Acute Conjunctivitis) | 1.स्फटिकरसांजन गुलाब जल | 50 |
14. | मधुमेह (Diabetes Mellitus) | 1.आयुष -82 | 30 |
2.चन्द्रप्रभावटी +त्रिबंग भस्म + विजयसार
| 30 | ||
3. मेथिका चुर्ण
| 51 | ||
15. | व्यानबलवैष्यम्य (Hypertension) | 1. उशीरादि मिश्रण | 57 |
2. तगरादि मिश्रण | 22 | ||
16. | आमवात (Rheumatoid Arthritis) | 1.शुण्ठी ,गूगल गोदंती | 121 |
17. | किटिभ (Psoriasis) | 1.आरोग्यवर्धनी वटी + कैशोरगुग्गुलु + चक्रमद तैल | 80 |
2.पंचनिम्बलोहचुर्ण + कामदुग्धा + हरिद्राखाण्ड | 30 | ||
18. | अश्मरी (Urolithiasis) | 1. पलाशक्षार | 63 |
2.पाषाणभेद् ,गोक्षुर क़्वाथ् घनसत्व | 51 | ||
19. | परिणामशूल (Duodenal Ulcer) | 1.आमलकीरसायन | 19 |
2.शतावरी मधुयष्टी घन सत्व वटि
| 3 | ||
3..इन्दुकांत घृत | 3 | ||
4.महातिक्त घृत | 3 | ||
20 | अर्श (Piles) | 1.कांकायन वटी + त्रिफला चूर्ण + कासीसादी तैल | 123 |
2.क्रव्यादीरस + त्रिफला चुर्ण + कासीसादी तैल | 101 | ||
21. | व्यानबलवैष्यम्य (Hypertension) | 1.वचा + ब्राम्ही + जटामांसी + अर्जुन
| 79 |
2.चन्द्रप्रभावटी + श्वेतपर्पटी + पूनर्नवामण्डूर | 102
| ||
22 | मेदोरोग (Lipid disorder) | 1.वचा + कुटकी कप्सुल
| 108 |
2. त्रिफला सिध्द गुग्गुलु +पुनर्नवा मण्डुर + गोमुत्र क्षार | 11 | ||
23 | पाण्डु (Anaemia) | 2.धात्री लौह | 38 |
24. | ग्रहणी (Irritable Bowel syndrome) | 1.बिल्वादि लेह
| 52 |
25 | कष्टार्तव (Dysmenorrhea) | 1.रजप्रर्वतनी वटी | 41 |
26. | वातरक्त(Gout) | 1.अमृतादि गुग्गुलु और पिण्ड तैल | 50 |
27 | ग्रहणी (Irritable Bowel syndrome) | 1.कुटजारिष्ट | 6 |
इस संस्थान मे गत पाच वर्ष मे Dysmenorrhea (रजप्रर्वतनी वटी), IBS (बिल्वादिलेह ),Gout (अमृतादि गुग्गुलु और पिण्ड तैल) और IBS (कुटजारिष्ट) पर सी.सी.आर.एस इंट्रा मुरल अनुसंधनात्मक परियोजना के तहत 2011-16 के दौरान चिकित्सात्मक अध्ययन किया गया है ।
सम्पर्क
डॉ. कृष्णा क़ुमारी, प्रभारी सहायक निदेशक (आयु.) वै.-4
क्षेत्रीय आयर्वेदीय मुत्र विकार अनुसंधान संस्थान, बनतालाब, जम्मु-18123
फोन न. 0191-2546475
ई-मेल – arri.jammu@gmail.com