Hamari Mitra Jammu-Pradesh ki Vanaushdhiyan (Hindi)
Year of Publication | Price | Format | Language | Pages |
2003 | 75 | Paper Back | Hindi | 148 |
Brief Description
जिस देश का रहनेवाला प्राणी हो, उसे उसी देश में उत्पन्न हुई औषधि हितकर हो सकती है। इसलिए क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, जम्मू के संशोधकों ने अपने चहुं ओर सुगमता से उपलब्ध वनस्पतियों में से कुछ वनौषधियों की पहचान एवं विभिन्न रोगों के उपचार हेतु दिशानिर्देश देने का एक छोटा सा प्रयत्न किया था। फलस्वरूप संशोधको ने डोगरी भाषा में ‘डुग्गरदियाँ जड़ीबूटियाँ’ यह पुस्तक लिखी। उसकी पर्याप्त मांग को देखते इस मौलिक ग्रन्थ को, परिमार्जित-परिवर्द्धित व सात से अधिक परिशिष्टों मे योजित कर हिन्दी में प्रस्तुत ग्रंथ ‘हमारी मित्र जम्मू प्रदेश की वनौषधियां’ के नाम से प्रकाशित किया है।